ब्रह्रम्चर्य व कुण्डलिनी जागरण की सफलतम विधि by Osho
ब्रह्रम् चर्य व कुण् डलिनी जागरण की सफलतम विधि जीवन ऊर्जा है, शक्ति है। लेकिन साधारणत: तुम् हारी जीवन-ऊर्जा नीचे की और प्रवाहित हो रही है। इसलिए तुम् हारी सब जीवन ऊर्जा अनंत वासना बन जाती है। काम वासना तुम् हारा निम् नतम चक्र है। तुम् हारी ऊर्जा नीचे गिर रही है। और सारी ऊर्जा काम केन् द्र पर इकट्ठी हो जाती है। इस लिए तुम् हारी सारी शक्ति कामवासना बन जाती है। एक छोटा सा प्रयोग, जब भी तुम् हारे मन में कामवासना उठे तो, ड़रो मत शांत होकर बैठ जाऔ। जोर से श् वास को बहार फेंको—उच् छवास। नाक से ही श् वास को जाेर से छोडना हैै। भीतर मत लो श् वास को— क् योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श् वास को लोगे, भीतर जाती श् वास काम ऊर्जा को नीचे की धकाती है। बस श् वास को बाहर फेकों और गुदाद्वार (rectum) को अंदर की तरफ खीच लो। जब सारी श् वास बहार फिंक जाती है, तो तुम् हारा पेट और नाभि वैक् यूम हो जाती है, शून् य हो जाती है। और जहां कहीं शून् य हो जाता है, वहां आसपास की ऊर्जा शून् य की तरफ प्रवाहित होने लगती है। शून् य खींचता है, क् योंकि प्रकृति शून् य क