My Experience on Third eye

  • पहली बार जब क्रिया योग के द्वारा मैंने अपने मन को विचारशून्य बनाया तो ऐसा लगा जैसे मैं बहुत हल्का हो गया हूं और मेरा मस्तिष्क विचारों से रहित होने के कारण इतना अधिक शान्त बन गया है कि जैसे मेरे जीवन में किसी प्रकार का कोई तनाब या अभाव रहा ही न हो। मैं एक विचित्र और विशेष अनुभूति से भरा हुआ अपने अन्तर में प्रवेश करता जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे में अधिक-से-अधिक गहराई में जा रहा हूं। मैंने बहिर्मन को विचारशून्य बनाया वहीं उसके आगे मेरा प्रवेश होता जा रहा है। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा मन एक अतल गहराई में में उतरता जा रहा है और ज्यों-ज्यो में इस गहराई से उतरता हूँ त्यों-त्यों मुझे ज्यादा सन्तोष और सुख की अनुभूति होती जा रही है। इसके बाद ऐसा स्पष्ट हुआ कि मैं एक दिव्य लोक में आ गया हूं जिसके चारों तरफ प्रकाश-ही-प्रकाश हैं और इस प्रकाश में वे सारे दृश्य स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं जो कि मैने अपने जीवन में देखे थे। जब मैं इस दिव्य प्रकाश पिण्ड को स्पर्श करता हूं तो मेरा सारा शरीर एक विचित्र पुलक से भर जाता है और एक विशेष शान्ति का अनु भव में करने लगता हूं। पण्डित जी ने कहा कि यह दिव्यतेज ही अंतर्मन है जिसका तुम स्पर्श कर सके हो और इस तेज पिण्ड से जो रोशनी निकलती है उस रोशनी में गोचर और अगोचर, दृश्य और अदृश्य सारे तथ्य देखे जा सकते हैं। जब मैं इस दिव्य पिण्ड में प्रवेश करता हूं तो मेरा स्वयं का अस्तित्व अपने आप में इस ज्योति पिण्ड में विलीन हो जाता है और मैं उस समय पूरे विश्व को देखने में समर्थ हो पाता हूं।


English version

For the first time, when I made my mind thoughtless through Kriya Yoga, it felt as if I had become very light and my brain was so calm because of being devoid of ideas that there was no tension or lack of any kind in my life. I was going to enter my gap full of a strange and special sensation. It seemed like I was going deeper than i could. I made the extourman thoughtless and i am entering ahead of him. I felt as if my mind was descending into a very deep depth and as i descend from this depth, I am becoming more content and happy. Then it became clear that I had come to a divine folk with light and light around it, and in this light all the scenes are clearly visible that I had seen in my life. When I touch this divine light body, all my body is filled with a strange puller and i feel a special peace. Pandit Ji said that this is the only light that you can touch, and all the visible, visible and invisible facts can be seen in the light that emerges from this sharp body. When I enter this divine body, my own existence merges itself into this light body and I am able to see the whole world at that time.





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