Pranayama techniques and ways of Pranayama
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प्राणायाम क्रिया
इसके बाद साधक को चाहिए कि वह धीरे-धीरे सिर से पैर तक प्रत्येक अंग को विचारों के द्वारा ही शिथिल बनाता रहे। सबसे पहले अपने सिर को विचार शून्य बनाये, फिर यह सोचे कि मेरी आंखें शिथिल हैं, मेरी गरदन शिथिल हो गई है.
मेरे दोनों हाथ पूर्णतः शिथिल हैं और इस प्रकार वह ध्यान करता हुआ पैरों की उंगलियों को भी शिथिल बना दे, ऐसा करने के बाद वह यथासंभव अपने मस्तिष्क
को विचारशून्य बना देने का प्रयास करे, किसी भी प्रकार का विचार चिन्ता या परेशानी अपने मस्तिष्क में नहीं रखे ।
प्रारंभ में मस्तिष्क को विचारशून्य बनाने के लिए काफी परिश्रम करना पडेगा, परन्तु आप बराबर इस तरफ प्रयल करते रहिये, कुछ समय बाद आप अपने मस्तिष्क को बिचार शून्य बनाने में समर्थ हो सकेंगे और उस पर पूरा-पूरा नियंत्रण कर सकेंगे। इतना होने पर भी आप देखेंगे कि मस्तिष्क में कोई विचार दबा है और बह धीरे-धीरे मामने आ रहा है, ऐसे समय भी आपको बरावर प्रयास करना है। प्रारम्भ में आप बस एक मिनट के लिये विचारशुन्य हो सकेगे पर यदि आप इस अभ्यास को बढाते रहेगे तो विचार शून्यता का समय भी बढ़ता रहेगा।
आप धीरे-धीरे इस प्रकार की विचारशून्यता का पन्द्रह मिनट तक अभ्यास करें और फिर उसे घटाते-घटाते एक मिनट पर ले आवें। इसी प्रकार से आपक आरोह-अवरोह दोनों क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए। जब पूर्णतः विचार शून्य मस्तिष्क हो जाता है और आपका सारा शरीर क्रिया शून्य होकर निष्क्रिय हो जाता है तब इसे 'शव-साधना' कहा जाता है। अर्थात् उस समय आपका पूरा शरीर मुर्दे की तरह होता है और सारा शरीर एक विशेष प्रकार की ऊष्मा से प्रवाहित हो रहा होता है। जैसा कि ऊपर बताया है पहले एक मिनट के लिए विचारशून्यता का अभ्यास कीजिये और उसे बढ़ाते-बढ़ाते पन्द्रह मिनट तक ले जाइये, साथ ही इसके बाद धीरे धीरे घटाते हुए पुनः एक मिनट तक ले आइये । ऐसा अभ्यास आपको आगे के लिए बहुत अधिक लाभदायक रहेगा, क्योंकि जब भी आप सोचेंगे तब आप एक मिनट में ही अपने मस्तिष्क को विचारशून्य बनाने में समर्थ हो सकेंगे और जितने समय के लिये चाहेंगे उतने समय तक अपने मस्तिष्क को विचारशून्य रखने में समर्थ हो सकेंगे। प्रारम्भ में अभ्यास या प्रयोग कठिन प्रतीत होता है परन्तु यदि साधक बरावर अभ्यास करता रहता है तो निश्चय ही वह सफलता प्राप्त कर लेता है।
ENGLISH VERSION
pranayam verb-
On the flat and clean land, the waist force should lie down directly and keep it straight. And both hands parallel to the body should be scattered. At the same time, the seeker should close his eyes and keep lying with a peaceful mind at this stage. Keep in mind that no part of his body is functional, as much as possible, he does not allow any kind of thought to come into his mind and leave the body loose in such a way that each of his limbs can rest completely.
The seeker should then gradually relax each part from head to toe through ideas. First of all, make your head zero, then think that my eyes are loose, my neck is relaxed.
Both my hands are completely relaxed and thus he can also relax the toes of the meditation, after doing so, he has as much brain as possible.
Try to make it thoughtless, do not put any kind of thought in your mind.
Initially, you have to work hard to make the brain thoughtless, but you continue to do it on this side, after some time you will be able to make your brain zero and have full control over it. Even if you have so much, you will see that there is a thought in the brain and the flow is slowly coming, even at that time you have to try. Initially, you will be able to be considered for just one minute, but if you continue to increase this exercise, the time of the idea will also continue to increase.
You gradually practice this kind of thought for fifteen minutes and then take it down to one minute. Similarly, you should practice both the aaroh-Avroh activities. When the whole idea becomes zero brain and your whole body becomes inactive, it is called ' cadaver sadhana '. That is, at that time, your whole body is like a dead and the whole body is flowing with a particular type of heat. As mentioned above, practice thoughtlessness for the first one minute and take it for fifteen minutes, and then gradually reduce it and take it again for one minute. Such a practice will be very beneficial for you further, because whenever you think, you will be able to make your brain thoughtless in a minute and be able to keep your brain thoughtless for as long as you want. Initially, practice or experimentation seems difficult, but if the seeker continues to practice, he certainly achieves success.
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