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Showing posts from May, 2020
             हिप्नोटिक शक्ति- मानव में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा और चुंबकीय-शक्ति है और इस शक्ति के माध्यम से ही मानव इतना रहस्यमय बन सका है। हिप्नोटिक शक्ति के मुख्य केन्द्र मनुष्य की आंखे और उंगलियों के सिरे होते हैं । उदाहरण के लिए आप अपने सिर का बाल तोड़ कर लटका दीजिए। इस बात का ध्यान रखें कि उस पर हवा का प्रभाव न हो या ऐसे स्थान पर नहीं लटका हुआ होना चाहिए जिससे कि बह हवा के प्रभाव से हिल सके । अब आप अपने दाहिने हाथ को किसी भी उंगली को उस बात के सिरे के पास धीरे-धीरे ले जाइए। आप देखेंगे कि कुछ दूरी रहने पर बाल खिच कर उंगली से चिपक जाता है, ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार चुम्बक लोहे की कील को अपनी ओर खींचता है। जब व्यक्ति किसी अपने प्रिय का चिन्तन करता है या उसके बारे में सोचता है तो उसका सारा शरीर एक बिशेष चुम्बकीय विद्युत से प्रवाहित होने लगता है और उसके सारे शरीर में झनझनाहट-सी दौड जाती है, यह झनझनाहट विद्युत का वेग है। कई बार हाथों की उंगलियों में यह झनझनाहट अनुभव होती है। हम कई बार देखते हैं कि किसी प्रेमिका को अचानक जब उसका प्रेमी दिखाई ...

Pranayama techniques and ways of Pranayama

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 Do Not Copy this article.           प्राणायाम क्रिया समतल और साफ भूमि पर कमर के बल सीधे लेट जाना चाहिए  दोनों टांगे फैला कर सीधी रखनी चाहिए। और शरीर के समांतर दोनों हाथ फैले हुए रहने चाहिए।  साथ ही साधक को अपनी आंखें बन्द कर लेनी चाहिए और इस अवस्था में बिना हिले-डूले शान्त चित्त से लेटे रहना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि उसके शरीर का कोई अंग क्रियाशील न हो, यथासंभव वह किसी प्रकार का विचार अपने मन में न आने दे तथा शरीर को इस प्रकार से ढीला छोड़ दे कि उसका प्रत्येक अंग पूरी तरह से विश्राम कर सके।  इसके बाद साधक को चाहिए कि वह धीरे-धीरे सिर से पैर तक प्रत्येक अंग को विचारों के द्वारा ही शिथिल बनाता रहे। सबसे पहले अपने सिर को विचार शून्य बनाये, फिर यह सोचे कि मेरी आंखें शिथिल हैं, मेरी गरदन शिथिल हो गई है. मेरे दोनों हाथ पूर्णतः शिथिल हैं और इस प्रकार वह ध्यान करता हुआ पैरों की उंगलियों को भी शिथिल बना दे, ऐसा करने के बाद वह यथासंभव अपने मस्तिष्क को विचारशून्य बना देने का प्रयास करे, किसी भी प्रकार का विचार चिन्ता या परेशानी अपने...

My Experience on Third eye

पहली बार जब क्रिया योग के द्वारा मैंने अपने मन को विचारशून्य बनाया तो ऐसा लगा जैसे मैं बहुत हल्का हो गया हूं और मेरा मस्तिष्क विचारों से रहित होने के कारण इतना अधिक शान्त बन गया है कि जैसे मेरे जीवन में किसी प्रकार का कोई तनाब या अभाव रहा ही न हो। मैं एक विचित्र और विशेष अनुभूति से भरा हुआ अपने अन्तर में प्रवेश करता जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे में अधिक-से-अधिक गहराई में जा रहा हूं। मैंने बहिर्मन को विचारशून्य बनाया वहीं उसके आगे मेरा प्रवेश होता जा रहा है। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा मन एक अतल गहराई में में उतरता जा रहा है और ज्यों-ज्यो में इस गहराई से उतरता हूँ त्यों-त्यों मुझे ज्यादा सन्तोष और सुख की अनुभूति होती जा रही है। इसके बाद ऐसा स्पष्ट हुआ कि मैं एक दिव्य लोक में आ गया हूं जिसके चारों तरफ प्रकाश-ही-प्रकाश हैं और इस प्रकाश में वे सारे दृश्य स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं जो कि मैने अपने जीवन में देखे थे। जब मैं इस दिव्य प्रकाश पिण्ड को स्पर्श करता हूं तो मेरा सारा शरीर एक विचित्र पुलक से भर जाता है और एक विशेष शान्ति का अनु भव में करने लगता हूं। पण्डित जी ने कहा कि यह दिव्यतेज ...

Third Eye opening Symptoms

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The power of the pineal eye opening are some things that everybody can really learn and feel. It gives you access to deeper knowledge. Today, there's a collective awakening that changes the limiting conditions of humanity. Unfortunately, the pineal body is additionally susceptible to calcification thanks to processed foods and fluoride in water. However, this doesn't prevent the pineal eye opening and your pineal body should be sending signals from time to time. It’s time to know if the signs you’ve noticed lately are associated with the awakening of your pineal eye . Here are the signs to seem out for: #1. you start to think more deeply about what's to return . Your old perception of things seems superficial and you realize that what you see is merely a fraction of what really exists. As a result, you start to extend your frequency and your state of consciousness begins to vary . #2. With the pineal eye opening, you'll see the colours and therefore the ...

ध्यान में अलग अलग रंगो के प्रकाश दिखना और इसके मतलब

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ध्यान में अलग अलग रंगो के  प्रकाश दिखना और इसके मतलब  जब हम ध्यान करते है और काफी प्रयासों के बाद  हमारा ध्यान धीरे धीरे लगने लगता है तब हमे सतर्क रहना चाहिए। ध्यान करते हुए अक्सर कई तरीके के प्रकाश दिखाई पड़ते हैं जिनमें से पीला लाल सफेद और मिश्रित रंग होते हैं इन तरह-तरह के रंगों का अलग-अलग अर्थ होता है जैसे पीले रंग का प्रकाश जीव  की आत्मा प्रकाश माना जाता है और सफेद रंग का प्रकाश आत्मा का प्रकाश होता है। ध्यान लगाने का सबसे उपयुक्त समय सुबह का होता है या फिर जब प्रकृति का संगम हो। प्रकृति के संगम से हमारा तात्पर्य शांति और प्राकृतिक वातावरण से है। या फिर ध्यान अंधेरे में और रात के समय में भी किया जा सकता है,  जब हम ध्यान करते हैं तब हमारी आंखें उस वक्त एकदम शांत होती हैं लेकिन कुछ क्षणों के पश्चात हमारी आंखें फिर घूमने लगती हैं अंदर ही अंदर ।और  फिरसे ध्यान टूट जाता है। एक ध्यान करने वाले साधक को चाहिए कि वह अपना पूरा ध्यान त्रिनेत्र पर ही लगाए, मेडिटेशन स्टेट। ,  यह कहना बड़ा सरल है लेकिन करने में पसीने छूट जाते हैं। व्यक्ति को...
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ध्यान में होने वाले अनुभव जब साधक आज्ञा चक्र में ध्यान लगाते है तो साधकों को ध्यान के दौरान कई अलग प्रकार के अनुभव होते हैं. अनेक साधकों के ध्यान में होने वाले अनुभव एकत्रित कर यहाँ वर्णन कर रहे हैं ताकि नए साधक अपनी साधना में अपनी साधना में यदि उन अनुभवों को अनुभव करते हों तो वे अपनी साधना की प्रगति, स्थिति व बाधाओं को ठीक प्रकार से जान सकें और स्थिति व परिस्थिति के अनुरूप निर्णय ले सकें. १. भौहों के बीच आज्ञा चक्र में ध्यान लगने पर पहले काला और फिर नीला रंग दिखाई देता है. फिर पीले रंग की परिधि वाले नीला रंग भरे हुए गोले एक के अन्दर एक विलीन होते हुए दिखाई देते हैं. एक पीली परिधि वाला नीला गोला घूमता हुआ धीरे-धीरे छोटा होता हुआ अदृश्य हो जाता है और उसकी जगह वैसा ही दूसरा बड़ा गोला दिखाई देने लगता है. ऐसी घटनाएं कभी कभी कुछ पल और कभी कभी काफी देर तक होती हैं।और इस प्रकार यह क्रम बहुत देर तक चलता रहता है. साधक गण यह विचार करने पर मजबुर हो जाते हैं कि यह क्या हो रहा है?, इसका अर्थ क्या है ? ध्यान में दिख रहा, इस प्रकार के आंखो में  दिखने वाला नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं जीवात...